वायु सेना, में राफेल, का शामिल होना, निःसंदेह हमारी, सैन्य, शक्ति, को बढ़ाएगा।,

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वायु सेना, में राफेल, का शामिल होना, निःसंदेह हमारी, सैन्य, शक्ति, को बढ़ाएगा।,

Vijay Meena nainwa. 30/7/2020

लेकिन क्या राफेल के आने की खबर और इसका शोर कुछ असामान्य नहीं है? ध्यान रहे कि राफेल से पहले भी लगभग 20000 विमानों के साथ हमारी वायुसेना को दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना होने का गौरव हासिल है।

फिर हम आखिर ऐसे क्यों रिऐक्ट कर रहे हैं जैसे 1985 में किसी के घर रंगीन टीवी लगने पर घरवालों का इतराना।

दो तरह के लोग हैं जो हाइपर ऐक्टिव हैं- पहला वो मुर्खों की टोली जिसे ये पता है कि राफेल से पहले हम निरीह-लाचार थे और अब राफेल आने भर से हम विश्वविजेता हो गए। दूसरा तथाकथित बुद्धिजीवी भक्त समूह जो सोशल मीडिया पर गदर मचा कर बता रहे हैं कि मोदी ने देश को राफेल देकर धन्य-धन्य कर दिया। ये उनपर फब्तियाँ भी कस रहे हैं जिन्होंने राफेल की कीमतों, एचएएल की जगह अनिल अंबानी को ऑफसेट पार्टनर बनाने, 126 की जगह 36 जेट और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर जैसे जरूरी मुद्दों पर पहले सरकार से सवाल किए थे।

तो भईया, आज पहली बार कोई लड़ाकू विमान भारत नहीं आया। पहले भी सुखोई, मिग और मिराज जैसे फाईटर जेट आए थे, और आकाश में उड़कर ही आए थे। हाँ तब हम पागल नहीं हुए जा रहे थे, न शेखी बघार रहे थे और न ही दूरदर्शन पर इतना शोरगुल था।

और जो ये जता रहे हैं कि मोदी के वजह से उतरा तो उन्हें तिगुनी कीमत देने पर भी इसके न आने का अंदेशा था क्या? माने मोदी है तो मुमकिन है के तर्ज पर!

और हथियारों का मतलब भी तभी है जब नेतृत्व में वीरता हो। वर्ना परमाणु हथियार रखकर भी सीमा में घुस आए दुश्मन के मौजूदगी को ही नकार देना पड़ता है। जो घुसे ही नहीं उनके पीछे लौटने की खबरें बार-बार चलानी पड़ती हैं।

बहरहाल, हम तब भी मस्त थे जब राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से सुप्रीम कोर्ट ने इस विषय पर अपनी सीमा बताते हुए सौदे की जाँच की आवश्यकता को ही नकार दिया था!
और अब भी मस्त हैं जब दरबारी चैनलों पर भांड़ ऐंकरों का समूह इसकी तमाम विशेषताओं को खुले तौर पर बता रहा है!

अब राष्ट्रीय सुरक्षा की बात ही बेमानी हो गयी।

लेकिन, अभी मस्ती के आगोश में समाने का समय है। राग दरबारियों के सुर में शामिल हो जाइए।
राफेल आ गया, वाह-वाह कीजिए!

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