कोरोना, ने उसे भी किया तबाह, जो दुनिया, भर की अर्थव्यवस्था, पर करता है राज,

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कोरोना, ने उसे भी किया तबाह, जो दुनिया, भर की अर्थव्यवस्था, पर करता है राज,

  1. दुनिया भर में कोरोना संक्रमण के कुल मामले 1 करोड़ 60 लाख से ज़्यादा, अब तक छह लाख 55 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत
  2. अमरीका में कोरोना संक्रमण के कुल मामले 43 लाख से ज़्यादा, अब तक एक लाख 48 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत
  3. ब्राज़ील में 24 लाख 42 हज़ार से ज़्यादा संक्रमण के मामले जबकि 87 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत
  4. कोरोना संक्रमण के मामले में तीसरे पायदान पर भारत, 15 लाख से ज़्यादा मामले जबकि करीब 34 हज़ार लोगों की मौत
  5. टूरिज़्म इंडस्ट्री को जनवरी से मई के दौरान क़रीब 320 बिलियन डॉलर का नुकसान, साल 2009 की आर्थिक मंदी के दौरान हुए नुकसान से तीन गुना ज़्यादा नुकसान

कोरोना संकट के बीच अमरीकी डॉलर में बुधवार को जबर्दस्त गिरावट देखी गई. कहा जा रहा है कि अमरीकी डॉलर पिछले दो सालों के अपने सबसे निचले स्तर पर है.

इसके साथ ही अमरीका के सेंट्रल बैंकिंग सिस्टम ‘फेडरल रिज़र्व’ पर पर गिरावट को रोकने के लिए ब्याज दरों में कमी जैसे ज़रूरी क़दम उठाए जाने का दबाव बढ़ गया है.

हालांकि बाज़ार को उम्मीद है कि सरकार फ़िलहाल शांत रहेगी लेकिन अमरीका में कोरोना संक्रमण के मामले और तनाव का माहौल जिस तरह से बढ़ रहा है, उसे देखते हुए कुछ विश्लेषकों का अनुमान है कि ‘फेडरल रिज़र्व’ कोई बड़ा दूरगामी क़दम उठा सकता है.

जापान के सबसे बड़े बैंकों में से एक एमयूएफ़जी बैंक के हेड ऑफ़ रिसर्च डेरेक हालपेन्नी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, “इन बातों का मतलब हुआ कि हमें आर्थिक विकास की ज़्यादा निराशाजनक हालात की उम्मीद करनी चाहिए. हमें कुछ हद तक अमरीकी डॉलर पर भी ध्यान देना चाहिए.”

दूसरी मुद्राओं की तुलना में अमरीकी डॉलर में इस बुधवार को 0.4 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई. जून, 2018 के बाद से ये अमरीकी डॉलर का सबसे निचला स्तर है.

‘फेडरल रिज़र्व’ की आख़िरी मीटिंग के बाद से अमरीकी डॉलर तीन फ़ीसदी कमज़ोर हुआ है. अमरीकी उपभोक्ताओं का भरोसा जुलाई में उम्मीद से ज़्यादा कमज़ोर हुआ है.

इससे संकेत मिलता है कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के कारण लोग खर्च कम कर रहे हैं.

नोमुरा सिक्योरिटी के मार्केट एक्सपर्ट युजिरो गोटो कहते हैं, “संक्रमण की दूसरी लहर की चिंताओं को देखते हुए बाज़ार को लगता है कि फेडरल रिज़र्व ब्याज दरों में कमी का फ़ैसला करेगा.”

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