समाचार,पत्रों,और मीडिया,की शैली,से बढ़ती,जातिगत,वैमनस्यता “

0

समाचार,पत्रों,और मीडिया,की शैली,से बढ़ती,

गुना में शासकीय जमीन से अतिक्रमण हटाने गई पुलिस ने अतिक्रमणकर्ताओं के साथ बर्बरता की ।
पर आज के अधिकांश समाचार पत्रों और मीडिया में लिखा गया है कि दलित परिवार के साथ बर्बरता की गई और सामान्यतः इनके द्वारा इस प्रकार के हर प्रकरण में यही शैली उपयोग में लाई जा रही है ।
क्या ये समाचार पत्र, मीडिया यह कहना चाहते है कि यह परिवार दलित नही होता तो फिर पुलिस इस प्रकार की कार्यवाही नही करती ?
यदि नही तो फिर वोट की चाहत में राजनीतिक दलों द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली यह शैली समाचार पत्रों और मीडिया द्वारा उपयोग में लाना कहाँ तक उचित है ?
क्या ये नही जानते है कि यू भी अत्याचार के किसी मामले में एससी/एसटी एक्ट भी तभी लगता है जब आरोपी पक्ष की कार्यवाही में जातीं को भी एक मुद्दा बनाया जाए ।
क्या समाचार पत्र और मीडिया की यह शैली जातिगत वैमनस्यता को नही बढ़ाएगी ? विशेषकर एक जाति विशेष के लोगो मे शासन और प्रशासन के खिलाफ आक्रोश को जन्म नही देगी ?
और इसका फिर शासन, प्रशासन की कार्यप्रणाली पर किस प्रकार का प्रभाव पड़ेगा ।
” इस पर चिंतन तो होना ही चाहिए ?”

Leave A Reply

Your email address will not be published.