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चीन के खिलाफ भारत, वियतनाम ओर अमेरिका मिलकर एक बड़ी रणनीतिक साझेदारी क्यूं बना रहे हैं !! अगर यह रणनीतिक साझेदारी बन जाती है तो चीन को चैन की सांसे लेना भी असंभव हो जाएगा.
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अगर अब विश्वभर के नेता कहते हैं, कि आने वाला वक्त भारत का है, तो शायद उनका सोचना पूरी तरह से सही नहीं है, क्योंकि भारत का वक्त शुरू हो चुका है !! एशिया की दो महाशक्तियां भारत और चीन लगातार विवाद में फंसे हैं और भारत के लिए चुनौती पेश करने वाले चीन को रोकने के लिए लगातार उसके खिलाफ भारत रणनीतियां बन रही है !! ऐसे में चीन के एक और दुश्मन वियतनाम और भारत एक साथ आ गए हैं और ये दोनों देश मिलकर एशिया का नया भविष्य लिखने की तैयारी कर चुके हैं !! तो मित्रों – आईये जानते हैं, कि भारत और वियतनाम का एक साथ आने से विश में क्या परिवर्तन हो सकता है !?
अगर चीन को बड़ा झटका देना है, तो भारत और वियतनाम अपने संबंधों को ओर काफी मजबूत करना होगा !! खासकर इंडो-पैसिफिक में भारत और वियतनाम की मजबूत दोस्ती चीन को टेंशन देने के लिए काफी है !! भारत 21 वीं सदी में वैश्विक मंच पर एक प्रमुख आधार खिलाड़ी बन गया है और उस आकलन में लगातार अमेरिकी प्रशासन एकजुट हुए हैं. वाशिंगटन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में इंडो-पैसिफिक के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के समन्वयक कर्ट कैंपबेल ने भी इस बात पर जोर देते हुए कहा कि, भारत और वियतनाम मिलकर एशिया का नया भविष्य लिखने जा रहे हैं !! कैंपबेल ने अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बने क्वाड का जिक्र करते हुए कहा कि, मैं भारत के साथ भविष्य को लेकर बहुत उत्साहित हूं !! मुझे लगता है कि हम सभी मानते हैं कि क्वाड में भारत सबसे महत्वपूर्ण सदस्य है. अब भारत, वियतनाम ओर अमेरिका एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदारी पर वार्ता कर रहे हैं.
भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका का रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण क्वाड की अगली बैठक अगले साल जापान में होने वाली है, जहां ये चारों देश आपसी सहयोग को और विस्तार देने के लिए चर्चा करेंगे !! क्वाड कि पिछली बैठक दो महीने पहले अमेरिका में हुई थी, जिसमें शामिल होने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वॉशिंगटन का दौरा किया था !! हालांकि, भारत की गुटनिरपेक्ष नीति ने ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के बीच एक और गुट ‘ऑकस’ में शामिल होने से रोक दिया है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि, यह रचनात्मक और रणनीतिक रूप से सोचने का वक्त है कि, अमेरिका और भारत के बीच क्या संभव है !? अमेरीका के एशिया के रणनीतिकार कर्ट कैंपबेल ने कहा कि, भारत और वियतनाम, उन महत्वपूर्ण देशों की सूची में सबसे ऊपर है जो एशिया के भविष्य को परिभाषित करेंगे !! कैंपबेल ने कहा कि, ‘मेरा मानना है कि जो कोई भी वाशिंगटन में शासन में होगा, चाहे डेमोक्रेट या रिपब्लिकन, वह भारत और वियतनाम के साथ आपसी संबंधों को मजबूत करने में मदद करेगा !! और ये काफी आवश्यक है । एशिया के बड़े रणनीतिकारों में एक माने जाने वाले कर्ट कैंपबेल का मानना है कि, पिछले साल हिमालय में भारत और चीन के बीच हिंसक झड़प के बाद भारत की रणनीतिक सोच पर गहरा प्रभाव पड़ा है !! पिछले साल भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिमालयन क्षेत्र में हिंसक झड़प में कई भारतीय सैनिकों की मौत हो गई ओर भारत ने चीन को भी काफी क्षति पहुंचाते हुए उसके कई सैनिक मार गिराया, और दोनों देशों के बीच का तनाव काफी ज्यादा बढ़ गया था, लिहाजा भारत के लिए रणनीतिक महत्व पर काम करना काफी महत्वपूर्ण हो गया है !! यानि, अमेरिका का मानना है कि, चीन को रोकने के लिए भारत और वियतनाम को एक साथ मिलकर काम करना चाहिए और अमेरिका ने ये बी कहा है कि, इस काम में भारत अकेला नहीं है और भारत अपने विरोधी को रोकने के लिए कई देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है.
आपको बता दुं कि, वियतनाम ने टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काफी जबरदस्त काम कर रहा है और हाई टेक्नोलॉजी और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में वियतनाम ने अपनी खास पहचान बनाई है !! इसके साथ ही एशियाई व्यापार में विविधता लाने में भी वियतनाम का काफी योगदान रहा है और चीन के टेक्नोलॉजी सेक्टर पर अगर ब्रेक लगानी है, तो वियतनाम ओर भारत को आगे बढ़ाना होगा, क्योंकि, चीन और वियतनाम में बहुत हद तक एक जैसे हालात हैं !! लिहाजा, दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ वियतनाम को और अधिक सक्रिय भूमिका निभाने पर और ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. जिसको लेकर अमेरिकी राजनयिक ने कहा कि, अमेरिका राजनयिक स्थिति पर काम कर रहा है !! कैंपबेल ने कहा कि अमेरिकी और वियतनामी नेताओं को एक-दूसरे से अधिक परिचित होने की जरूरत है !! अभी उनके साथ बैठकें कम होती हैं, लिहाजा हमें सच उद्येश्य से रणनीति बनाने की जरूरत है ओर भारत अमेरिका वियतनाम के बीच एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है !! भारत और वियतनाम के संबध हमेशा से दोस्ती भरे और सौहार्दपूर्ण ही रहे हैं और 1954 में फ्रांसीसी सेना को हराने के बाद जब नये वियतनाम ने आंखें खोली, तो भारत ने 1956 में वियतनाम की राजधानी हनोई में महावाणिज्य दूतावास की स्थापना की थी और भारत के साथ संबंध को और मजबूत करने के लिए वियतनाम के राष्ट्रपति ‘हो ची मिन्ह’ ने 1958 में भारत की यात्रा की थी, जबकि 1959 में भारत के राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने वियतनाम की यात्रा की थी !! वहीं, जब 1972 में वियतनाम पर अमेरिका ने हमला किया था, तो भारत उन देशों में था, जिसने अमेरिकी हस्तक्षेप का कड़ा विरोध किया था. वहीं, 2016 में भारत और वियतनाम के बीच ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ के तहत रक्षा सहयोग में भी समझौते किए गये हैं !! उनमें से ब्रह्मोस मिसाइल ओर आकाश मिसाइल शामिल हैं !! भारत वियतनाम के बीच रक्षा सहयोग काफी मजबूत है । भारत वियतनाम के नौसेना के लिए बेसल बना रहा है, उसे कई तरह का हथियार मुहैया करवा रहा है. अब वियतनाम LCA तेजस फाइटर जेट के लिए भारत के साथ बातचीत कर रहा है, ओर यह समझौता बहुत जल्द होने वाली है.
भारत इस बात को भली-भांति जानता है कि, दक्षिण-पूर्व एशिया में राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक विकास के लिए वियतनाम के साथ लंबे वक्त के लिए साझेदारी की जरूरत है. वहीं, साउथ चायना सी में चीन को उस वक्त वियतनाम ने बड़ा झटका दिया, जब वियतनाम ने भारतच को तेल और गैस खोजने के लिए भारत की उपस्थिति पर मुहर लगा दिया. वहीं, भारत सरकार अपने ”क्विक इम्पेक्ट प्रोजेक्ट” यानि QIP के जरिए वियतनाम के विकास और क्षमता में वृद्धि के लिए निवेश करना शुरू कर दिया है, जिसको लेकर चीन की आंखे टेढ़ी रहती हैं !! इसके अलावा भारत ने वियतनाम के साथ रक्षा सौदों को भी बढ़ाया है !! चूंकी दोनों ही देश चीन के साथ लड़ाई लड़ चुके हैं, लिहाजा भारत ओर वियतनाम चीन के हर चाल को लेकर सतर्क रहते हैं और एक दूसरे से संबंधों को और ज्यादा मजबूत करने में जोर दे रहे हैं. 2014 में मोदी सरकार आने के बाद भारत चीन के हर दुश्मन देश को साधने के लिए एक खाका रणनीति तैयार किया है ओर भारत उसी दिशा में भी आगे बढ़ रहा है !! चाहे वह वियतनाम, फिलिपीन, इंडोनेशिया, मलेशिया, जापान, ताइवान, म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया, मंगोलिया, कजाकिस्तान ओर साउथ कोरिया क्यूं न हो…