आगर-मालवा,कांग्रेसी,चेहरों,के सहारे क्या होगी भाजपा,की नैया पार,
दोनो विधानसभा में पुराने और नए कांग्रेसी चेहरे आमने-सामने
आगर-मालवा
जैसा की कहा जाता है कि राजनीति में कोई भी स्थाई दोस्त या स्थाई दुश्मन नही होता है। यही कहावत आगर जिले की दोनो विधानसभा सीटो पर चरितार्थ होती हुई दिखाई दे रही है। दोनो सीटो जो स्थिति निर्मित हो रही है उसको देखकर आमजन यही कह रहे है कि लड़ाई कांग्रेस के नए-पुराने चेहरो के बीच है। पहली बार इस तरह की स्थिति निर्मित होने से आमजन भी असमंजस की स्थिति में आ चुके है।
आगर विधानसभा की यदि बात की जाए तो कांग्रेस से विपिन वानखेड़े व भाजपा से मधु गेहलोत चुनावी मैदान में डटे हुए है और अपने-अपने मतदाताओं को रिझाने में कोई कसर नही छोड़ रहे है। इसी बीच जन चर्चाएं भी खासी तेज हो चुकी है। भाजपा प्रत्याशी मधु गेहलोत वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ चुके है और भाजपा प्रत्याशी से करारी शिकस्त का सामना भी कर चुके है। वर्ष 2020 में हुए आगर विधानसभा के उप चुनाव के दौरान कांग्रेस का दामन छोडकऱ गेहलोत ने भाजपा का दामन थाम लिया था और तभी से भाजपा में सक्रीय है। विपिन वानखेड़े एनएसयूआई की राजनीति करते-करते क्षेत्र में सक्रीय हुए और कांग्रेस से ही लगातार चुनाव लड़ रहे है। तीसरी बार विपिन वानखेड़े विधानसभा चुनाव के रण में उतरे है। चुनावी गतिविधियां अपने चरम पर है तो चर्चाएं भी आम हो चुकी है। आमजन के समक्ष जो स्थितियां निर्मित हो रही है उससे आमजन भी सोंचने को मजबूर हो चुके है। शहर के चौराहो पर एवं गांवो की चौपालो पर चर्चाएं होने लगी है कि यहां तो कांग्रेस के नए-पुराने चेहरे ही चुनावी मैदान में उतरे हुए है। भाजपा पुराने कांग्रेसी के सहारे अपने गढ़ को वापस हथियाने में जुटी हुई है तो कांग्रेस अपनी सीट बचाने के लिए ऐड़ी-चोंटी का जोर लगा रही है। यह तो चुनाव परिणाम ही बताएंगे कि ऊंट किस करवट बैठता है। हालांकी दोनो ही प्रमुख राजनीतिक दलों की अपनी-अपनी कोशिशें जारी है।
त्रिकोणीय मुकाबला हुआ रोचक
इसी तरह यदि सुसनेर विधानसभा की बात की जाए तो वहां कांग्रेस-भाजपा के साथ-साथ निर्दलीय प्रत्याशी के मैदान में उतर जाने से मामला बड़ा रोचक नजर आ रहा है। यहां भी स्थिति आगर विधानसभा जैसी ही है। आमजन के बीच वही कांग्रेस के नए-पुराने चेहरे मैदान में नजर आ रहे है। भाजपा से विक्रम सिंह राणा मैदान में डटे हुए है जो की वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़े थे और अप्रत्याशित ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। कांग्रेस का दामन छोडऩे के बाद राणा ने भाजपा का दामन थाम लिया और इस बार भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में डटे हुए है। कांग्रेस के प्रत्याशी भैरूसिंह बापू भी वही चेहरा है जिनका पुत्र वर्ष 2018 में सुसनेर से चुनाव लड़ चुका है। यहां जो निर्दलीय प्रत्याशी जीतू पाटीदार मैदान में आए है वे भी कांग्रेस से बागी होकर मैदान में डटे है। ऐसी दशा में इस क्षेत्र में भी आम चर्चा बन चुकी है कि कांग्रेस के नए-पुराने चेहरो के बीच ही चुनाव चल रहा है।
दोनो विधानसभा में 4 लाख 68 हजार 584 मतदाता करेंगे मतदान
जिले में कुल 4 लाख 68 हजार 584 मतदाता है जिनमें 2 लाख 40 हजार 985 पुरूष, 2 लाख 27 हजार 586 महिला मतदाता तथा तृतीय लिंग 13 मतदाता है। सुसनेर विधानसभा में कुल 2 लाख 35 हजार 92 मतदाता जिनमें से 1 लाख 21 हजार 162 पुरूष, 1 लाख 13 हजार 923 महिला मतदाता तथा तृतीय लिंग 7 मतदाता है। इसी प्रकार आगर विधानसभा में कुल 2 लाख 33 हजार 492 मतदाता है जिनमें 1 लाख 19 हजार 823 पुरूष, 1 लाख 13 हजार 663 महिला एवं तृतीय लिंग मतदाता 6 है। जिले में कुल 611 मतदान केन्द्र है जिनमें से 110 मतदान केन्द्र क्रिटीकल है।