आरएसएस की उद्गम स्थली नागपुर में शासन द्वारा कत्ल खाना खोलना उचित है क्या – स्वामी गोपालानंद सरस्वती

0

आरएसएस की उद्गम स्थली नागपुर में शासन द्वारा कत्ल खाना खोलना उचित है क्या* – स्वामी गोपालानंद सरस्वती

Swami Gopalan Saraswati


सुसनेर। मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन जी यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन वर्ष २०८१, से  घोषित *गो रक्षा वर्ष*  के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा,श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर स्थित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में  चल रहें *

एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव* के 81 वें दिवस पर गोकथा में पधारे श्रोताओं को  ग्वालसन्त गोपालानन्द सरस्वती जी महाराज ने बताया कि हमें पांच पांच सौभाग्य भगवान ने दिए है,जिसमे से पहला सौभाग्य यह है कि हम लोगों को परमात्मा ने मनुष्य बनाया है,दूसरा भारत भूमि में जन्म लिया,तीसरा सौभाग्य मालवा की पवित्र भूमि पर बैठकर कथा सुनने का चोथा पंच सहस्त्र गोमाता की सन्निधि में बैठने का सौभाग्य और पांचवा मां की महिमा कहने सुनने  का सौभाग्य भगवान ने हमें दिया अर्थात भगवान ने पांच पांच सौभाग्य हमें दिए है और इसी कृपा से भगवती गोमाता  हमें भवसागर से पार लगाएगी । केवल हमें सजग रहना है क्योंकि नाव भी है पतवार भी है और हवा भी सही बह रही है केवल हमे तय करना है कि हमें पानी में कूदना है या नांव के माध्यम से भवसागर पार करना है यानि *जिस धरती पर जन्म लेने के लिए देवता भी तरसते है उस पुण्य देव भूमि में हमने जन्म लिया है* और जो सनातन धर्म सबके कल्याण का धर्म है उस धर्म में हमको जन्म दे दिया है बस अपने विवेक का उपयोग कर  जन्म मरण से मुक्ति पाने के लिए निर्मल  मन से आनंदित भाव से क्लेश रहित होकर भगवती गोमाता की सेवा जिस प्रकार शास्त्र  कह रहे है उस विधि पूर्वक हम गोसेवा करें।
स्वामीजी ने कहां कि अंग्रेजो का राज ज्यादा बुरा नहीं था ,लेकिन अंग्रेजो ने अपने जीवन में सबसे बड़ी गलती भारत में गो हत्या का काम शुरू कराकर किया और इसलिए 200 सालो में ही वे निपट गए अगर वे गो हत्या नहीं कराते तो आज भी अंग्रेज भारत में राज करते क्योंकि भारत की आजादी का पहला आंदोलन गाय की चर्बी के कारण 1857 में मंगल पाण्डे द्वारा किया गया और अंग्रेजो को यहां से भागना ही पड़ा ।


पूज्य महाराज जी ने दुःख प्रगट कर रोष जाहिर करते हुए आक्रोश में बताया कि जिस पुण्यभूमि में छत्रपति शिवाजी महाराज ने जन्म लिया उस महाराष्ट्र में वहां की सरकार ने अभी  नागपुर जिले के उमरेड तालुका में कत्लखाना खोलने के लिए 100बीघा जमीन दी है अर्थात जिस भूमि में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उद्गम हुआ है उस पुण्य भूमि नागपुर में कत्ल खाना खोलना देश के लिए दुर्भाग्य की बात है और पूज्य महाराज जी ने महाराष्ट्र सरकार को आगाह किया है कि कत्लखाना खोलने के आदेश को वापस ले नही तो भगवती गोमाता इस प्रकार का जघन्य अपराध करने वालों का सर्वनाश कर देगी ।


स्वामीजी ने बताया कि  प्राचीन समय में धेनु पाल ही भूपाल हुवा करते थे और जिन्होंने धेनु के साथ अन्याय किया उनका वंश तक नष्ट हो गया जिसका घनानंद के गो विरोधी होने का खामियाजा नन्द वंश को भुगतना पड़ा और सम्पूर्ण नंदवंश समाप्त हो गया। इसलिए एक एक गायमाता का ख्याल रखे वही श्रेष्ठ राजा होता है और *हमारे देश का वर्तमान राजा भी सम्पूर्ण देश के प्रत्यक परिवार में एक गोमाता को अनिवार्य रूप से रखेगा तभी उस परिवार को सरकारी सहायता मिलेगी ऐसी  घोषणा कर दे तो जगत जननी भगवती गोमाता भारत की सड़को पर नहीं भटकेगी* क्योंकि मनुष्य के बाकि रोग मिटाने के लिए अनेक चिकित्सा पद्धति भारत में है लेकिन *भव की बीमारी मिटाने का साधन गोमाता ही है* इसलिए प्रधानमंत्री जी की इस घोषणा से गोमाता तो सुखी रहेगी और उसकी सेवा करने वाला भी अपना भव का रोग ठीक कर पाएगा क्योंकि विष्णु धर्मोत्तर पुराण में भगवान हंस ब्राह्मणों को समझा रहे है कि कोई भी व्यक्ति भाव से गो सेवा करता है तो उस व्यक्ति का सम्पूर्ण परिवार के भव के रोग ठीक हो जाते हैं।

*82 वे दिवस पर चुनरी यात्रा रा

जस्थान के बागड़ क्षेत्र, मध्यप्रदेश के  उज्जैन एवं आगर जिले से*
एक वर्षीय गोकृपा कथा के 82 वें दिवस पर राजस्थान के बागड़  क्षेत्र की अन्नपूर्णा गोशाला बांसवाड़ा ,मध्यप्रदेश के महाकाल बाबा की नगरी उज्जैन से अरुण कुमार अग्रवाल एवं उनकी मित्र मण्डली एवं आगर जिले की सुसनेर तहसील के बोर खेड़ी कांवल ग्राम के पंच पटेल एवं महिला मंडल ने अपने ग्राम की कुशहाली एवं जन कल्याण के लिए  गाजे बाजे के साथ गो अभयारण्य पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाकर ,गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन, गो पुष्टि यज्ञ करके यज्ञशाला की परिक्रमा कर उसके बाद सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।

Leave A Reply

Your email address will not be published.