यूरिया,डीएपी खाद से उत्पादित अन्न से बढ़ रही है शरीर में विकृतिया – स्वामी गोपालानंद सरस्वती जी महाराज

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यूरिया,डीएपी खाद से उत्पादित अन्न से बढ़ रही है शरीर में विकृतिया – स्वामी गोपालानंद सरस्वती जी महाराज

सुसनेर। मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन जी यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन वर्ष २०८१, से घोषित गो रक्षा वर्ष के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर स्थित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 94 वे दिवस पर श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए

गोपालाचार्य स्वामी गोपालानंद सरस्वती जी महाराज ने बताया कि गोमाता कचरा खाकर उपयोगी वस्तु हमें प्रदान करती है, यूरिया डीएपी से हमारी जमीनें बंजर हो रही है और विषैला अनाज मिल रहा है, ऐसा अनाज खाने से हमारे शरीर में कई विकृतिया आ रही है, यदि गोमाता का गोबर खाद के रूप में उपयोग करे तो सात्विक अनाज प्राप्त होगा। इसको खाने से ढेरो बीमारियों से बचा जा सकता है। खेतो में जुताई बेलो से करनी चाहिए। बेल धर्म का रूप है यह बात गरुड़ पुराण में लिखी है। बेल से खेती करने वाले पर किसी प्रकार का कोई ऋण नहीं रहता है।

Gau Mata ki Puja karte hue

जो खेतो में जहर परोस रहे है ऐसे लोगों का लोक ओर परलोक दोनों नरक के समान हो जाता है। रसायन खाद से खेती से कई प्रकार के जीवो की हत्या होती है, और अनाज भी विषैला मिलेगा। ऐसा अनाज खाने से लोगों की मन बुद्धि विकृत हो रही हैं। यूरिया डीएपी से खेती करने वाला व्यक्ति कितनी भी भक्ति भजन कर ले उसके सभी सतगुण नष्ट हो जाते है। तमोगुण बढ़ने से राक्षस प्रवृति बढ़ती है। इस कलयुग में रसायन युक्त खेती ही हमे नरक की ओर ले जाने के लिए पर्याप्त है। जो लोग अपने आप को धार्मिक कहते है अपने आप को गो भक्त कहते है वह भी जहर युक्त अनाज का उपयोग कर रहे हैं। जो अत्यंत दु:खद है। ऐसे लोगों को गोबर की खाद से उत्पन्न अनाज फल सब्जियों का ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। इससे काम, क्रोध, लोभ, मोह स्वत: ही समाप्त हो जाएगा। जीवन रोग मुक्त होकर स्वस्थ और खुशनुमा हो जाता है।


पूज्य महाराज जी ने कहा कि भैंस तमोगुणी होती है, इसके दूध का सेवन करने से तमोगुण के कारण मानव में आलस्य, प्रमाद तथा राक्षसी प्रवृति बढ़ती है।
स्वामीजी ने बताया कि जिन लोगो को गाय पशु दिखती है उनका ध्यान केवल दूध पर रहता है। यदि गोमाता की सेवा हम पूज्य भाव से करेंगे तो वह हमे दूध के साथ दिव्य आशीर्वाद भी प्रदान करती है।

Pant meda tirth

आज कथा में पूज्य महाराज जी की अमृतवाणी से प्रभावित होकर अभयारण्य में विराजित राधा माधव जी सहित उनकी सेवा करने वाले किरण मुखिया जी व गोमाता की पूजा करवाने वाले विप्र देवता किरण पंडित जी ने आजीवन गो आधारित कृषि से उत्पन्न अन्न फल का उपयोग करने का संकल्प लिया।

94 वें दिवस पर राजगढ़ जिले में स्थित कमल किशोर जी नागर द्वारा स्थापित गोशाला प्रतिनिधि मंडल का आगमन हुआ।

94 वे दिवस पर चुनरीयात्रा राजस्थान के झालावाड़ जिले के डग नगर व मध्यप्रदेश के आगर नगर से

Go maa ke naam

एक वर्षीय गोकृपा कथा के 94 वें दिवस पर मध्यप्रदेश के आगर नगर से जय संतोषी माता महिला मण्डल व राजस्थान के झालावाड़ जिले के डग नगर की बाला साहेब ठाकरे गोशाला डग के अध्यक्ष ललित अग्रवाल,सचिव सुनील व्यास,प्रबंधक सुब्रत सारस्वत ,राजेन्द्र सारस्वत,आशीष जैन,मोहन टेलर, सिस्टर इंदु गोस्वामी,प्रभु लाल राठौर , पथु सेन,दिनेश योगी, जितेन्द्र पंवार, सरपंच गोविन्द सिंह एवं गजराज सिंह के नेतृत्व में सैंकड़ो मातृशक्ति, पुरुष गोमाताजी के लिए छप्पन भोग लेकर पधारे। सभी लोग अपने नगर की खुशहाली एवं जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं ,गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन, गो पुष्टि यज्ञ करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।

चित्र 1 : गोकथा सुनाते स्वामी गोपालानंद सरस्वती।
चित्र 2 : गोकथा में उपस्थित गौभक्त।
चित्र 3 व 4 : गोभक्तो का सम्मान करते समिति सदस्य।
चित्र 5 : गोकथा में गोमाता को चुनड़ ओढाती गोभक्त ।
चित्र 7 : गो पुष्टि यज्ञ करते गोभक्त
चित्र 8 : गोमाता के किये चुनड़ लाते गोभक्त

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