
इस चित्र में ये जो वेद का स्वाध्याय कर रहे हैं न! एक समय इन्हें पढ़ना नहीं आता था सत्यार्थ प्रकाश अपनी बगल में दबाकर गाय भैंस चराने के लिए जाते थे कोई पढ़ने वाला मिल जाता तो उससे सत्यार्थ प्रकाश सुनते, धीरे धीरे पढ़ने का अभ्यास बनाया और क्षेत्र के आर्य समाज के आधार स्तंभ बने। चारों वेद का कई बार पारायण किया। चरक, सुश्रुत, अष्टांग हृदय और भैषज्य संहिता के बहुत अच्छे जानकार थे। दैनिक यज्ञ करने के पश्चात ही भोजन ग्रहण करते थे । हिंदू हृदय सम्राट काशीराम जी आर्य के मित्र सखा और अग्रज के समान के थे, इनके साथ और सहयोग ने गुरुजी काशीराम जी को आर्य समाज के कार्य करने में सफल बनाया। एक बार तो गुरुजी काशीराम जी की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा दी गुरुजी काशीराम जी को खेत पर करंट लग गया आपने उनको पकड़कर करंट से छुड़ाया। सोंधिया समाज के सैकड़ों युवाओं को शराब और मांस की बुराई से छुड़ाकर आर्यवीर बनाया। एक माताजी के मंदिर में नवमी पर 900 बकरों की बलि चढ़ती थी आपने अपनी जान की परवाह किए बगैर उन पण्डो से साथ साथ शास्त्रार्थ किया और बकरों की बलि रुकवा दी।