
*गोमाता की शरण में जाने से तन और मन स्वस्थ रहकर सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है।* – स्वामी गोपालानंद सरस्वती
सुसनेर। मध्यप्रदेश यशस्वी मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन जी यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन वर्ष २०८१, से घोषित *गो रक्षा वर्ष* के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा,श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें *एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्स के 127 वे दिवस पर* श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती महाराज ने बताया कि

घर में छोटे से छोटे उत्सव, त्यौहार पर गो ग्रास की राशि अवश्य निकाले। यह बात हमारे धर्म शास्त्र में लिखी है। कल राष्ट्रीय उत्सव है हमारे तिरंगे की अखंडता हमेशा बनी रहे इस हेतु गोग्रास निकालें।
स्वामीजी ने आगे बताया कि गोमाता की भूमि पर अंग्रेजो व मुगलों के शासन में भी अतिक्रमण नहीं हुआ लेकिन आजादी के पश्चात गलत नीतियों के चलते, राजनेतिक प्रभाव में देश के कई लोगो ने गोचर पर कब्जा कर रखा है जो अत्यंत चिंता का विषय है।
गोमाता चारा खाती है और उसके बाद गोबर प्राप्त होता है। गोबर को खेत में खाद के रूप में डालने से उत्तम किस्म का जैविक अनाज और चारा प्राप्त होता है। गो आधारित खेती में मुख्य भूमिका गोबर की ही होती है।
गोमाता के साथ जितना समय हम व्यतीत करते है उतनी पवित्रता प्राप्त होती है। गोशाला में जाए तब गोबर उठाए। गोसेवा का यही सबसे उत्तम कार्य है। क्योंकि *गोमाता की शरण में जाने से तन और मन स्वस्थ रहता है। सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है। बीमार व्यक्ति के मन में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ने से स्वास्थ्य लाभ जल्दी मिलता है। आलस्य में रहने वाला मनुष्य कभी सुखी नही रह सकता*
कलयुग में इस एक वर्षीय गो आराधना महामहोत्सव में वैदिक परंपरा पुनः शुरू हो रही है। पुराने समय में गोमाता की सेवा पूरे मनोभाव से की जाती थी, गोमाता के साथ बड़े बड़े उत्सव मनाए जाते थे। समय के साथ साथ यह सेवा विस्मृत होती गई। वर्तमान में ऐसी सेवा देखनी हो तो कामधेनु गो अभ्यारण्य पधारे। यहां चल रही एक वर्षीय गो कथा में गोमाता के लिए प्रतिदिन सैंकड़ो की संख्या में भक्तगण चुनर के साथ प्रसाद लेकर आ रहे है।
*128 वें दिवस पर राजगढ जिले की जीरापुर तहसील से इन्द्र सिंह मेलूखेड़ा (बाढ़ गांव), दिलीप सिंह लसूडिया,नारायण सिंह लखेसरा, नरवर सिंह बाढ़ गांव एवं मोहन सिंह मेलू खेड़ाआदि अतिथि उपस्थित रहें*
*श्रावण शुक्ला अष्टमी पर शिवसहस्त्राहुती यज्ञ ,पार्थिव शिव लिंग पूजन एवं रुद्राभिषेक राजस्थान के बूंदी जिले के डाबी श्री गोपाल गोशाला के युवराज राठौर, बंशी लाल राठौर एवं मोहन लाल प्रजापत के माध्यम से हुआ।
*128 वे दिवस पर चुनरी यात्रा राजस्थान के राजसमंद एवं मध्यप्रदेश के आगर जिले से*
एक वर्षीय गोकृपा कथा के 128 वें दिवस पर राजस्थान के राजसमंद जिले के सियाणा ग्राम में स्थित श्री धेनु गोपाल गोधाम से धर्मचन्द गुर्जर, मदन लाल तेली, नारायण दत्त दाधीच, प्रकाश चंद लोहार,प्रभुलाल गुर्जर, परसराम एवं नाना राम तेली की ओर से एवं मध्यप्रदेश के आगर जिले की बडौद तहसील के खेरिया ग्राम गंगाराम(जिला पंचायत सदस्य), कालू सिंह(, पूर्व सरपंच), गुमान सिंह(सरपंच), चेतन सिंह, देव सिंह, भगवान सिंह, ईश्वर सिंह, मदन सिंह, एलकार सिंह एवं दुले सिंह के साथ ग्राम के सैकड़ों मातृशक्ति ,युवा, वृद्ध अपने देश,राज्य एवं ग्राम/नगर के जन कल्याण के लिए डीजे के गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए छपन्नभोग लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।
चित्र 1 : गोकथा सुनाते स्वामी गोपालानंद सरस्वती।
चित्र 2 : गोकथा में उपस्थित गौभक्त।
चित्र 3 व 4 : गोभक्तो का सम्मान करते समिति सदस्य।
चित्र 5 : गोकथा में गोमाता को चुनड़ ओढाती गोभक्त ।
चित्र 7 : गोपूजन करते गोभक्त
चित्र 8 : गोमाता के किये चुनड़ लाते गोभक्त ।

