
*गायमाता हमारी इष्ट है वह दूध के लिए नहीं दर्शन हेतु चाहिए*- स्वामी गोपालानंद सरस्वती
सुसनेर। मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन जी यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन वर्ष २०८१, से घोषित *गो रक्षा वर्ष* के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा,श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर स्थित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें *एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 95 वे दिवस पर श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती महाराज ने सम्बोधित करते हुए बताया कि जगदंबा मां तब तक राजपूत के घरों में निवास करती थी जब तक राजपूतों का खान पान शुद्ध था। मां की पूर्ण कृपा चाहिए तो राजपूतों को अपने अतीत को याद करते हुवे पुन: शुद्ध खान पान को अपनाने की आवश्यकता है।
स्वामीजी ने बताया कि जैन समाज के सभी 24 तीर्थंकर राजपूत मां की कोख से जन्मे थे। इसका सबसे बड़ा कारण उनके खान पान में शुद्धता थी। गोमाता के गव्यो का सेवन राजपूत समाज के मुख्य भोजन में सम्मिलित था। गोमाता के गोबर, गौमूत्र, दूध, दही, घी, मक्खन, छाछ का उपयोग प्रमुखता से रहा। बकरी, भैंस, डेयरी के दूध दही छाछ विष के समान होते है और हमें रजोगुण एवं तमोगुण से बचना है तो हमें भैंस व बकरी के दूध से दूर रहना चाहिए भगवान वराह ने स्वयं वराह पुराण में कहां है कि मुझे भेस,बकरी के दूध का भोग मत लगाइए अगर गाय का दूध नहीं मिले तो मुझे पानी का भोग लगा दीजिए लेकिन बकरी, भैंस के दूध का भोग मत लगाइए ।

स्वामीजी ने आगे बताया कि हम सभी जो यहां बैठकर अथवा आस्था चैनल,धेनु चैनल एवं पथमेड़ा ऑफिसियल चैनल के माध्यम से कथा श्रवण कर रहें है , वे *गोरक्षा का संकल्प* कर जो सड़कों पर निराश्रित गोवंश घूम रहा है उन गोवंश में से एक एक गोवंश को अपने घर बांधे और भारत के हर सनातनी ने अपने घर में एक एक गाय बांध लिया तो भारत की सड़को पर एक भी निराश्रित गोवंश नहीं घूमेगा और भविष्य पुराण में कहां भी है कि जो व्यक्ति गायमाता और ब्राह्मण की इज्ज़त करता है भगवती गोमाता उस मनुष्य की यश कीर्ति को बढ़ाती है और मनुष्य शरीर होकर भी जिसने गायमाता की सेवा नहीं की उसे नहीं सहलाया तो उसका जीवन धिक्कार है और जिसने अपने जीवन में गायमाता की सेवा कर ली उसका जीवन धन्य हो जाता है ऐसा हमारे पुराणों में उल्लेख है । इसलिए हर सनातनी के घर में एक गोमाता तो होनी ही चाहिए और उन गोमाता की सेवा करे और अमृत समान गव्यो का सेवन करे, निश्चित रूप से जीवन में सात्विक गुणों का विकास होगा। *गोमाता हमारी इष्ट है वह दूध के लिए नहीं दर्शन के लिए होनी चाहिए*।
95 वे दिवस पर मुख्य अतिथि गोपाल सिंह सोलंकी(अमरपुरा _उज्जैन)अखिल भारतीय सोंधिया राजपूत समाज के राष्ट्रीय महासचिव , चंद्रपाल सिंह चौहान डाबड़ा राजपूत, सोनपाल सिंह (सरपंच) डाबड़ा राजपूत एवं डॉक्टर बने सिंह गंगापुर(बडौद)
*95 वे दिवस पर चुनरी यात्रा राजस्थान के झालावाड़ जिले की झालरापटन एवं पच पहाड़ तहसील से*

एक वर्षीय गोकृपा कथा के 95 वें दिवस पर राजस्थान के झालावाड़ जिले के झालरापाटन से सुरेन्द्र कुमार पुत्र श्री लक्ष्मीनारायण राठौर कोटा वाले, महाराजा मेटल्स कोटा एवं मुकेश मेटल्स झालरापाटन एवं पचपहाड़ तहसील के ग्राम आकखेड़ी से नेपाल सिंह,देशराज सिंह,बलराम सिंह, वीरेन्द्र सिंह राजपूत, सोदान लाल एवं सैकड़ों मातृशक्ति अपने नगर,ग्राम की कुशहाली एवं जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं ,गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन, गो पुष्टि यज्ञ करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।
चित्र 1 : गोकथा सुनाते स्वामी गोपालानंद सरस्वती।
चित्र 2 : गोकथा में उपस्थित गौभक्त।
चित्र 3 व 4 : गोभक्तो का सम्मान करते समिति सदस्य।
चित्र 5 : गोकथा में गोमाता को चुनड़ ओढाती गोभक्त ।
चित्र 7 : गो पुष्टि यज्ञ करते गोभक्त
चित्र 8 : गोमाता के किये चुनड़ लाते गोभक्त