आगर-मालवा कलेक्टर-कमिश्नर पर भारी बाबू की रसूख,

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*कलेक्टर-कमिश्नर पर भारी बाबू की रसूख,*

Babu


*मामला स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ कर्मचारी मनोज शर्मा का*

*आगर-मालवा अंकित दुबे*

आगर जिले के स्वास्थ्य विभाग में एक कर्मचारी ऐसे है जिन पर कई मर्तबा बड़ी से बड़ी जांच बैठा दी गई और जांचो में दोषी पाए जाने के बाद कलेक्टर से लेकर कमिश्नर ने भी कार्रवाई प्रस्तावित कर दी पर कर्मचारी के राजनीतिक रसुख की वजह से आला अधिकारियों द्वारा ठोस कार्यवाई करने से भी परहेज किया जा रहा है। हालात यह है कि संबंधित कर्मचारी को एक कलेक्टर निलंबित कर देते है तो दूसरे बहाल कर देते है। किसी कलेक्टर द्वारा इनकी वेतनवृद्धी रोकी गई तो किसी कलेक्टर द्वारा इनके ऊपर मुख्य शास्ति से दंडित करने के आदेश जारी कर दिए लेकिन कर्मचारी पर कोई कार्यवाई नही हुई। यहां तक की संभागायुक्त द्वारा भी एक आर्थिक अनियमितता के मामले में कार्यवाई के निर्देश दिए पर यह निर्देश भी फाईलों में दफन हो गए।
जिले के स्वास्थ्य विभाग में सहायक ग्रेड-3 के पद पर पदस्थ कर्मचारी मनोज शर्मा जिला बनने के ठीक बाद ही आगर में पदस्थ हो गए थे। इनकी विवादित कार्यप्रणाली के चलते इनको कभी कलेक्टोरेट में अटैच किया गया तो कभी शिक्षा विभाग में भेज दिया गया। शिक्षा विभाग में भी अनियमितता की तो तात्कालीन कलेक्टर अजय गुप्ता द्वारा अगस्त 2017 में इन्हे निलंबित कर दिया गया। जुलाई 2019 में कलेक्टर अभय वर्मा ने दो वेतनवृद्धी असंचय प्रभाव से रोक दी और बहाल कर दिया। कलेक्टर संजय कुमार द्वारा वर्ष 2019 में मनोज शर्मा को मुख्य शास्ति से दण्डित किए जाने का आदेश जारी कर दिया। अंधत्व निवारण समिति उज्जैन के लेखा कार्य के दौरान 14 हजार 774 रूपए का गबन करने के संबंध में कई बार संभागायुक्त ने कार्रवाई के निर्देश दिए लेकिन धरातल पर कोई कार्यवाई नजर नही आई।

– *अन्य अधिकारी-कर्मचारियों से बदमिजाजी करने के है आदी*

स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ अन्य विभागो के अधिकारी-कर्मचारियों के साथ बदमिजाजी करने व अभद्र व्यवहार की लगातार शिकायतें मिलने पर कलेक्टर द्वारा तात्कालीन अपर कलेक्टर एनएस राजावत को बाबू मनोज शर्मा के खिलाफ विभागीय जांच करने का जिम्मा सौंपा गया था। जिला विभागीय जांच अधिकारी के रूप में जब अपर कलेक्टर एनएस राजावत ने 14 बिन्दुओं पर जांच की तो सभी बिन्दुओं के आधार पर लगे आरोप मनोज शर्मा पर सिद्ध पाए गए। यहां तक की अपर कलेक्टर ने अपने जांच प्रतिवेदन में स्पष्ट दर्शाया कि कर्मचारी पर 14 आरोप सिद्ध पाए गए है। अपचारी कर्मचारी का कार्य मात्र अपनी शाखा तक ही सीमित था किन्तु उनके द्वारा अपने कार्य क्षेत्र से बाहर जाकर अन्य कर्मचारियों के कार्य में हस्तक्षेप करना व उनको किसी न किसी प्रकार से डराया जाना भी सिद्ध होता है। अपचारी कर्मचारी द्वारा स्टॉफ के कर्मचारियों को अनावश्यक रूप से परेशान किया जाना एवं संबंधित स्टॉफ से अभद्रता पूर्वक व्यवहार किया जाना परिलक्षित होता है। अपचारी कर्मचारी के उक्त कृत्य से चिकित्सालयीन स्टॉफ की कार्यप्रणाली भी प्रभावित हुई।

– *महिला कर्मचारियों को भी किया परेशान*

अपर कलेक्टर ने अपने जांच प्रतिवेदन में स्पष्ट उल्लेख किया था कि मनोज शर्मा की कार्यप्रणाली के चलते स्टाफ के कई कर्मचारियों द्वारा शिकायतें भी की गई है जिसमें विशेषकर महिला कर्मचारी के कार्य मे अनावश्यक हस्तक्षेप किया जाकर अनावश्यक परेशान किया जाना पाया गया। अपचारी कर्मचारी द्वारा अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अभद्र व्यवहार एवं अनावश्यक विवाद कर कार्यालय का माहोल खराब करना उनकी व्यवहार शैली में रहा है जो कि आपत्तिजनक होकर आचरण संहिता के विपरीत है। अपचारी कर्मचारी द्वारा शासकीय अभिलेख उपस्थिति पंजी व आवक-जावक पंजी में अनाधिकृत रूप से बिना सक्षम अनुमति के दस्तावेजों में छेड-छाड़ कर कांट-छांट की गई है। अपचारी कर्मचारी द्वारा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी उज्जैन के कार्यालय की शासकीय 14 हजार 774 रूपए जमा नहीं कराए गए हैँ इस संबंध में संबंधित के विरूद्ध पृथक से आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाना उचित है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला आगर द्वारा भी प्रस्तुत अभिमत में समस्त आरोपों को सही पाया गया है।

– *कलेक्टर ने दिए थे शास्ति के निर्देश*

मनोज शर्मा के विरूद्ध वर्ष 2019 में गंभीर आरोप लगे थे, जिसकी विभागीय जांच अपर कलेक्टर द्वारा प्रस्तुत की गई जांच रिपोर्ट पर तत्कालीन कलेक्टर संजय कुमार ने आरोप सिद्ध पाए जाने पर मुख्य शास्ति से दण्डित किए जाने का पत्र जारी किया था लेकिन तात्कालीन कलेक्टर के निर्देश पर आज तक कोई कार्यवाई  नही हो पाई है। आरोपो से घिरे मनोज शर्मा का स्थानांतरण तात्कालीन कलेक्टर अजय गुप्ता ने नलखेड़ा कर दिया था पर वर्तमान सीएमएचओ ने इनका संलग्नीकरण सीएमएचओ कार्यालय में ही कर दिया।


“मामला मेरे संज्ञान में है। मेरे द्वारा कार्यवाई की जाएगी। – राघवेंद्र सिंह (कलेक्टर आगर)

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