सीएम मोहन यादव का अपने पिता से पैसे मांगने का मनमोहक

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सीएम मोहन यादव का अपने पिता से पैसे मांगने का मनमोहक

मप्र के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के अपने पिता पूनमचंद यादव के साथ ऐसे ही खूबसूरत रिश्ते हैं। शिक्षा, सियासत, मंत्रित्व काल से लेकर अब वर्तमान में मुख्यमंत्री रहते हुए भी इस रिश्ते की मिठास ऐसे ही बनी हुई। बल्कि पहले से कुछ ज्यादा निखरी दिखाई देने लगी है। इसकी बानगी शनिवार को उस समय नजर आई, जब मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव अपने व्यस्त कार्यक्रमों से समय निकालकर अपने पिताश्री से मिलने और उज्जैन से भोपाल जाने की इजाजत लेने पहुंचे। इस दौरान प्रदेश मुखिया का मुकुट किनारे रखकर मोहन ने पिता पूनमचंद से भोपाल जाने का कहते हुए उनसे पैसे मांगे। पिता ने भी स्नेहपूर्वक अपनी पैसों की पोटली निकाली और उसमें से एक नोट निकलकर मोहन के हाथों में थमा दिया। इस लेनदेन के बीच बाप बेटे में हल्की फुल्की ठिठोली भी होती दिखाई पड़ी।


पिता पुत्र के बीच की इस नोंक झोंक और आपसी प्रेम को देखकर साथ मौजूद सीएम मोहन के समर्थक प्रफुल्लित भी हुए और इस जगह से एक सबक लेकर उठे कि कोई व्यक्ति पद, कद, प्रतिष्ठा में कितना भी ऊंचा उठ जाए, लेकिन वह अपने पिता से न ऊंचा हो सकता और न उनसे आगे निकल सकता। इस दौरान मौजूद कुछ लोगों ने इन खूबसूरत लम्हों को अपने मोबाइल कैमरे में कैद भी कर लिया। सभी का मानना है कि मोहन यादव का व्यवहार उनके घर के प्रति बहुत ही संवेदनशील है सभी से बहुत प्यार करते हैं मगर अपने पिताजी के सामने आज तक कभी ना उनकी आवाज में उन्होंने बात की है पिताजी का प्यार उनको हमेशा से मिलने आ रहा है हर सुख दुख की घड़ी में पिताजी उनके साथ देते हैं जिससे उनका मन लगा हुआ है सदा से पिताजी के प्रति ठेला लगाने से दूध डेरी तक और दूध डेरी से मंत्री बनने तक और मंत्री बनने से मुख्यमंत्री बनने तक उनके पिताजी का आशीर्वाद सदा उनके ऊपर रहा है आप देख सकते हैं उनके पिताजी के प्रति उनका कितना लगाव हैं परिवार में सबसे ज्यादा प्यार करते हैं उनके पिताजी मोहन यादव से और उनके भाई नारायण प्रसाद यादव भी बहुत प्यार करते हैं मोहन यादव से मुख्यमंत्री बनने के बाद में पिताजी को समय कम दे पा रहे हैं इसलिए जब भी जाते हैं पिताजी के पास में बैठकर सारी बातें करते हैं अपना अनुभव साझा करते हैं इसलिए पिताजी हमेशा मोहन जी को याद करते रहते हैं दोनों के बीच में पिता पुत्र के साथ-साथ दोस्ताना व्यवहार हैं जिससे सारी बातें शेयरिंग करते हैं और जहां उनकी राय लेनी रहती हैं राय मुशायरा साथ में बैठकर करते हैं

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